श्रद्धांजलि मोहम्‍मद रफी: ‘तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे, जब कभी भी सुनोगे गीत मेरे, संग-संग तुम भी गुनगनाओगे

रफी साहब ने पंचम दा से नाराज़ होकर बोले ‘पंचम, क्‍यों किसी नए कलाकार की जिंदगी मेरे हाथों बरबाद करते हो.’ उसके बाद पंचम दा ने रफी साहब से बहुत आग्रह किया कि आप ही गाना पूरा करें, लेकिन रफी साहब नहीं माने और रिकार्डिंग बीच में छोड़कर चले गए.

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